भोजपुरी क्षेत्र में लगन-बियाह के बड़ा महत्व हो ला ,आजकल लगन चरचारायील बा.लोग देस-परदेस से एह घरी आपन -आपन घरे दुआरे आ रहल बा लोग .बिआह होता ,आगहूँ होईबे करी....... । लोग बिआह त कर रहल बाडन, आ कतना लोगन के हो रहल बा ....लेकिन हम जानल चाहत बानी की बिआह जब होला त कुछ रीती -रिवाज़ होला ,ई सब के अर्थ का सभे कोई जानत बा॥ .......... फ़िर भी हम बता देत बानी ... की भोजपुरी क्षेत्र में बिआह जब होला तब कैसे होला-----
कन्या -दुलहा (दुलहा-दुल्हिन)सबसे पहीले माडो में बैठे ला लोग, जहाँ ई लोग बैठे ला लोग ओहिजा ज़मीं पर जौ बिछावल जाला, की ई कच्छप नारायण हवन , तवाना के ऊपर घडा में पानी भर के रखा ला की उ क्षीर सागर हवन ,क्षीर सागर में विष्णु भगवान रहे लन एह से ओकरा में कसैली डाला ला ,आ... विष्णु भगवान के साथै त लक्ष्मी जी रहेनी ,एह से ओकरा में पैसा डाला ला... । विष्णु भगवन के नाभि से कमल के फूल निकलल बा एह से ओकरा में आम के पल्लो डाला ला । तवाना के ऊपर चार मुहँ वाला दिया धारा ला की ऊ ब्रह्मा जी हवें । त कहे के मतलब ई बा की जवान बिआह होला ओकरा में इतना भगवान लोग साक्षी रहे ला ,तब जा के बिआह होला .लेकिन बहुत ही कम लोग एह सब के अर्थ जाने ला । त ... हम आपन भोजपुरियन लोगन से जानल चाहत बानी की कातना लोग हमनी के ई परम्परा से परिचित बा । जय भोजपुरी ,जय भारत ..... ॥
Tuesday, February 24, 2009
Friday, February 6, 2009
जन्म दिन का गिफ्ट -बसंत में प्यार ही प्यार
हमार जन्म त बसंत ऋतू में भईल रहे ,एह से लागता की ई बसंत बाएं न जाई । एगो हमनी देने लोकगीत बड़ा ही फेमस बा- गम -गम ,गम के गांव सुनहरा,आ मति कहे पुकार
दिल्ली वाली दुल्हिन ,चल के देख गऊँवा हमार
कहे के मतलब बा की हो सकता इही बसंत में कवनो दिल्ली के लईकी से मन अझुरा जाए आ ओंकारा के बिहार के दुल्हिन बना के लिया लिआवे। हमहूँ त दिल्ली ऐ में कम -धाम करत बानीपेशा से गवानिया हईं,कबहूँ -कबहूँ नाच हूँ लिही ले। नुकड़ नाटक त जम के करीला ,रौऊवा सभे ध्यान देब जा।
एहेहीईईईईईई हमार जन्मदिन के गिफ्ट रही। जे हमारहित-नाता ,दोस्त-संघतिया बा हमारा बाड़े में कुछ विचार करे ----- आजकल मिजाज गड़बडी रहता
दिल्ली वाली दुल्हिन ,चल के देख गऊँवा हमार
कहे के मतलब बा की हो सकता इही बसंत में कवनो दिल्ली के लईकी से मन अझुरा जाए आ ओंकारा के बिहार के दुल्हिन बना के लिया लिआवे। हमहूँ त दिल्ली ऐ में कम -धाम करत बानीपेशा से गवानिया हईं,कबहूँ -कबहूँ नाच हूँ लिही ले। नुकड़ नाटक त जम के करीला ,रौऊवा सभे ध्यान देब जा।
एहेहीईईईईईई हमार जन्मदिन के गिफ्ट रही। जे हमारहित-नाता ,दोस्त-संघतिया बा हमारा बाड़े में कुछ विचार करे ----- आजकल मिजाज गड़बडी रहता
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