Tuesday, September 2, 2008

बिआह के अर्थ -के कतना जानत बा

भोजपुरी इलाका में बिआह त होला,रस्म-रिवाज़ के साथ होला। मंत्र,पूजा-पाठ कइल जाला ,रावा में से कातना लोगन के बिआह भइल होई, कातना लोग बिआह करी, कातना लोग बिआह देखले होई -बाकि अर्थ कुछन लोगन जानत होइहें। सबसे पहिल त धन्वाद के पात्र बानी bhojpuri ke shekspiyar sv bhikhari thakur jee ,natak "बिदेसिया के देखला से उपरोक्त अर्थ भइल।
बिआह में माडो में भगवान के सामने दुल्हा-दुल्हन के बैठावल जाला । त इ भगवन लोगन ,के के ह .... अब जानी सभे - सबसे पहिले जौ बिछावल जाला कि ऊ कच्छप नारायण हवें ,तवना के ऊपर पानी से भरल घईला रखा ला कि ऊ क्षीर सागर ह। क्षीर सागर में विश्नुभागावान- लक्ष्मी के साथे रहींला एह से ओकरा में कुछ पैसा आ कसैली डाला ला कि इहे भगवानलोगन ह । विष्णु जी के नाभि से कमल के फूल निकलल बा एह से ओकरा में आम के पल्लो डालाल । तवना के ऊपर चार मुहँ वाला दीया राखाला कि ऊ ब्रह्म जी हईं.अतना भगवान लोगन के साक्षी मानकेतब बिआह होला । मंत्र पढ़के ,संकल्प लेल जाला कि पति-पत्नी एक दूसरा के सुख -दुःख में हमेशा ही साथ दिही लोग